Hare krishna mission
हरे कृष्ण आंदोलन की आंदोलन की शुरुआत सन 1965 में न्यूयॉर्क सिटी में ए .सी भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद द्वारा उनके गुरु महाराज( श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर )के आदेश पर की गई यह यह आदेश उनके गुरु ने 1922 में दिया था जिसमें उन्होंने कहा कि "आप पढ़े-लिखे नवयुवक हो इसीलिए श्री चैतन्य महाप्रभु के इस मिशन का प्रचार पाश्चात्य जगत में करो " अपने गुरु के साथ देश को पूरा करने के लिए स्वामी प्रभुपाद पानी के एक जहाज से जिसका नाम जलदूत था से यात्रा करके पाश्चात्य जगत में विदेशी लोगों के बीच गए जहां पर उन्हें कोई नहीं जानता था लेकिन उन्होंने न्यूयॉर्क के बोस्टन में पानी के जहाज से उतर कर एक पार्क में जहां हिप्पी समुदाय के लोग रहते थे वहां पर एक वृक्ष के नीचे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे इस महामंत्र का कीर्तन करना शुरू किया जब लोगों ने देखा कि एक भारतीय सन्यासी जो विचित्र वेशभूषा में हैं कीर्तन कर रहे हैं तो वह लोग जो हमेशा ही गलत कामों में लिप्त रहते थे और नशा करते थे उन्होंने नशे में ही नाचना शुरु किया और वे उस कीर्तन की धुन पर नाचने लगे धीरे धीरे उन लोगों की निष्ठा श्रील प्रभुपाद के प्रति बढ़ने लगी बढ़ने लगी और वे उनके प्रवचनों को ध्यान से सुनने लगे इस तरह विदेशी लोगों ने जाना कि भगवान श्री कृष्ण परम पुरुषोत्तम भगवान हैं और उनकी भक्ति करना जीवन का लक्ष्य है इस तरह श्रील प्रभुपाद ने आध्यात्मिक संस्था अंतरराष्ट्रीय श्री कृष्ण भावनामृत संघ अर्थात इस्कॉन की स्थापना की और सबसे पहला इस्कॉन का मंदिर श्री श्री राधा कृष्ण मंदिर का निर्माण न्यूयॉर्क में हुआ।
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